अर्जुन महाभारत के सबसे शक्तिशाली धनुर्धर थे उनके दम पर ही महाभारत में पांडवों ने जीत हासिल की थी।

अर्जुन की द्रोपदी के अलावा तीन और पत्नियां थी जिनके नाम थे सुभद्रा।,उलूपी और चित्रांगदा और इन तीनों पत्नियों से अभिमन्यु, इरावन और बब्रुवाहन नाम के 3 पुत्र भी थे परंतु महाभारत के युद्ध में वभ्रुवाहन कौरवों की ओर से युद्ध लड़े थे।

महाभारत के युद्ध के पश्चात महर्षि वेदव्यास के आदेश से अश्वमेघ यज्ञ का शुभारंभ किया। और इससे के रक्षक अर्जुन बनाए गए अशोक घूमता मणिपुर जा पहुंचा जहां पर बब्रुवाहन का राज चलता था जब वभ्रुवाहन को पता चला तो वह अपने पिता के स्वागत करने के लिए भागता हुआ उनके समक्ष उपस्थित हुआ परंतु अर्जुन यह देखकर प्रसन्न होने की जगह क्रोधित हो उठे।

उन्होंने वभ्रुवाहन से कहा क्या तुम सच में क्षत्रिय हो ,क्या तुम्हारा खून पानी बन गया है अश्व तुम्हारे राज्य में प्रवेश कर गया है और युद्ध करने की जगह मेरा स्वागत करने आए हो उस समय नागकन्या उलूपी वहां पर उपस्थित थी।

उन्होंने वभ्रुवाहन को समझाते हुए कहा कि पुत्र मैं तुम्हारी विमाता उलूपी हूं तुम्हें अपने पिता से युद्ध करना चाहिए क्योंकि तुम्हारे पिता गुरुकुल के श्रेष्ठ वीर है इसके उपरांत अर्जुन और बब्रुवाहन में भीषण युद्ध प्रारंभ हो गया।

युद्ध करते-करते वभ्रुवाहन मूर्छित हो गया और अर्जुन की मृत्यु हो गई यह देखकर चित्रांगदा और उलूपी विलाप करने लगी तब उलूपी ने मृत संजीवनी जिसका प्रयोग मृत सांपों को जीवित करने के लिए किया जाता है उसे अर्जुन को जीवित कर दिया।

बब्रुवाहन अर्जुन को उनका अश्व वापस कर दिया और अपनी माताओं के संग अश्वमेघ यज्ञ में शामिल हुए।
हम आपको बता देंगे उलूपी ने बसु के सांप को सुना था की अर्जुन उसके पुत्र द्वारा मारा जाएगा जैसा भीष्म की मृत्यु हुई थी इसीलिए उलूपी ने बब्रुवाहन को अर्जुन को मारने के लिए उकसाया था।
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क्या अर्जुन की मृत्यु उनके ही पुत्र द्वारा कर दी गयी थी ,इस बात में कितनी सच्चाई है ?
Reviewed by N
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February 27, 2020
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