कोरोना वायरस को खौफ इतना ज्यादा है कि लोग इसे संबंधित हर जानकारी जुटा लेना चाहते हैं।

लोग जानते हैं कि इसके क्या लक्षण हैं इस वायरस से बचाव के उपाय भी अब लोग जान चुके हैं डॉक्टर से इस वायरस को डायग्नोसिस के लिए rt-pcr तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
इसके तहत संक्रमित या संगठित व्यक्ति की नाक या गले से नमूना लेकर मेडिकल की जांच की जा रही है अब सवाल उठता है कि इसके अलावा किसी दूसरे तरीके से भी COVID-19 इनकी जांच की जा सकती है कई देश जांच के लिए एक और तरीका सेरोलॉजिकल टेस्ट का भी प्रयोग कर रहे हैं।
इस जांच में कोरोना वायरस वाले से खिलाफ शरीर के भीतर बनी एंटीबॉडी नाम की प्रोटींस की जांच की जाती है एंटीबॉडी एक प्रकार की रक्षक प्रोटीन होती है हमारा शरीर इनका निर्माण अलग-अलग बाहरी शत्रुओं बैक्टीरिया वायरस फंगस या अंदर मौजूद शत्रु कैंसर के खिलाफ करता है।

एंटीबॉडी किसी भी संक्रमण के होने के बाद तुरंत बाद नहीं बनती इनको बनने में थोड़ा समय लगता है अगर संक्रमण करने वाले उसके शरीर में दाखिल होने पर एंटीबॉडी बनने के बीच के समय में सीरोलॉजीकल टेस्ट किया जाए तो नेगेटिव ही आएगा ऐसे में इस दौरान को भी वायरस को नहीं पकड़ा जा सकेगा ऐसा हमेशा नहीं होता कि एंटीबॉडी इस वायरस के लिए एकदम विशिष्ट हो कई बार बनी एंटीवायरस दो वायरस के खिलाफ अंतर नहीं कर पाती है ऐसे में सिरोलॉजिकल टेस्ट पॉजिटिव आने पर भी यह हो सकता है कि यह एंटीबाडी वायरस के खिलाफ ना होकर पुराने संक्रमण के खिलाफ बने हुए इस तरह से पॉजिटिव सीरोलॉजीकल टेस्ट को डॉक्टर फॉल्स पॉजिटिव कहते हैं।

आसान शब्दों में समझें तो ऐसे लोगों का टेस्ट तो पॉजिटिव आर है लेकिन उन्हें कोरोनावायरस नहीं होता है।

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कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने पर भी जरूरी नहीं की आप कोरोना वायरस से ग्रस्त हो ,यहां जाने इसकी जानकारी
Reviewed by N
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March 29, 2020
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