भगत सिंह का जन्म पंजाबी सिख परिवार में हुआ जो राजीनीति में सक्रिय परिवार था उन्होंने बचपन से ही अपना जीवन भारत की स्वंतंत्रता में समर्पित कर दिया।
भगत सिंह का परिवार एक देशभक्त आर्य-समाजी सिख परिवार जिसकी वजह से उनके खून में देशभक्ति दौड़ती थी भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला' रखा था जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला' बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा।
भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित रहे 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देख देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा।
वह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में हिस्सा लेने लगे फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया।
एक गुप्त योजना के तहत इन्होंने पुलिस सुपरिटेंडेंट स्कॉट को मारने की योजना सोची 17 दिसंबर 1928 को ए० एस० पी० सॉण्डर्स को राजगुरु ने एक गोली सीधी मारकर और भगत सिंह ने 3 -4 गोली दाग कर इन लोगों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया।
लाहौर षड़यंत्र मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सज़ा सुनाई गई व बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया 23 मार्च 1931 को शाम में करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई तीनों ने हँसते-हँसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।
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14 साल की आयु में ही भगत सिंह ने लिए थे लाला लाजपत राय की मौत का बदला !!
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January 26, 2020
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