भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से आए हैं महाराष्ट्र में कोरोनावायरस से 42 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है केरल में 19 उत्तर प्रदेश में 16 और कर्नाटक में 11 मामलों की पुष्टि हुई है।

बिहार देश का तीसरा सबसे बड़ा आबादी वाला राज्य है जहां अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है ऐसे में सवाल उठता है कि की कोरोनावायरस अभी तक बिहार नहीं पहुंचा पहुंचा है कई लोग इस पर हैरानी जता रहे है वह कहते हैं यह आश्चर्य इसलिए है क्योंकि यहां लोग उपेक्षा कर रहे हैं।

आमजन में डर है मगर सिस्टम लाचार और बदहाल है केवल स्कूल-कॉलेज बंद करना आयोजनों को रद्द करना ही एहतियात नहीं है सबसे जरूरी है कि इस वायरस को डिटेक्ट करना बिहार में डायग्नोसिस की प्रक्रिया हो ही नहीं पा रही है डॉक्टर शाह बिहार में कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान और उनके टेस्ट की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं वह कहते हैं सबसे पहले तो बिहार में कोई लैब नहीं है जहां यह जांच हो सके।

सारे जिलों से लिए गए जांच के सैंपल पटना में एक जगह एकत्रित किए जाते हैं फिर उन्हें कोलकाता जांच के लिए भेजा जाता है वहां से रिपोर्ट आती है यह एक लंबी प्रक्रिया है ऐसे में सवाल है कि सैंपल्स की क्वालिटी वैसी रह पाती है।

बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक जांच कराए गए सभी 70 संदिग्ध मरीजों के सैंपल नेगेटिव आए हैं लेकिन पीएमसीएच में जिस कॉटेज वार्ड में कोरोना कि संदिग्धों को रखा गया है वहां पहुंचने का रास्ता गंदगी से भरा और दुर्गंध वाला है रास्ते पर पानी नाले का पानी बह रहा था मरीज तो मरीज डॉक्टर और नर्स ने भी इसी रास्ते को पार कर जाने को विवश हैं।

कॉटेज वार्ड के ऊपरी तले पर कोरोना की संदिग्ध मरीज रखे गए हैं वार्ड के नीचे कुछ सुरक्षाकर्मी मिले जिन्होंने अंदर जाने से यह कहते हुए रोक दिया कि मरीज ,डॉक्टर ,नर्स और परिजनों के अलावा किसी को ऊपर जाने की अनुमति नहीं है सुरक्षा कर्मियों से बातचीत में यह भी पता चला है कि बीती रात वार्ड से एक संदिग्ध मरीज भाग गया था इसलिए सुरक्षा जगह चाक-चौबंद कर दी गई है।

कितने समय में कोरोना की जांच होनी चाहिए इसके लिए मरीजों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि के लिए पांच तरह के सैंपल लिए जाते हैं स्वाब ,नेजल एस्पिरेट, प्रेशरलैस सप्टम और ब्लड डॉक्टर शाह बताते हैं इनमें से कुछ सैंपल ऐसे हैं जिनका टेस्ट 6 घंटे के अंदर नहीं किया गया तो रिजल्ट की क्वालिटी में फर्क आ सकता है।

यही वजह है कि डॉक्टर शाहबिहार में कोरोना की जांच की प्रक्रिया को नाकाम बताते हैं क्योंकि सैंपल्स भेजने और रिपोर्ट मिलने में काफी समय लग जा रहा है उनका मानना है कि अगर सैंपल सी क्वालिटी में फर्क आएगा तो स्वाभाविक है कि रिजल्ट नहीं आएंगे।
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ऐसा क्या कारण है जो बिहार में कोरोना वायरस का एक भी मरीज नहीं मिला ?
Reviewed by N
on
March 21, 2020
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