दूसरी बार कोरोना से बचाने के लिए नहीं है हर्ड इम्युनिटी नहीं है किसी काम की ,वैज्ञानिक ने खुद पर परीक्षण कर किया ये शोध

वैश्विक  महामारी कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। 


कोरोना वायरस का प्रयोग कर रहे एक वैज्ञानिक खुद को दूसरी बार इससे संक्रमित कर लिया है खुद को दूसरी बार कोरोना से संक्रमित करने वाले वैज्ञानिकों को कहा कि उन्होंने हर्ड इम्युनिटी  को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने के लिए ऐसा किया है और अंदर 69 वर्षीय डॉ अलेक्जेंडर शिप्रा ने कहा कोरोना से बनने वाली एंटीबॉडीज की मजबूती और शरीर में मौजूद रहने की समय का मुआयना किया वैज्ञानिकों ने पाया कि उन्हें  दूसरी बार कोरोना संक्रमित होने के बाद पता चला कि बीमारी होने के तीसरे महीने के आखिर तक एंटीबॉडीज का पता नहीं चल सका। 


उन्होंने बताया मेरे शरीर के एंटीबॉडीज पहली बार बीमार होने के ठीक 6 महीने बाद गिर गई और कोरोना से सुरक्षा देने वाली एंटीबॉडी 6 महीने बाद खत्म हो गई जबकि दूसरी बार संक्रमित होने पर हॉस्पिटल में दाखिल होना पड़ा आपको बता दें कि वह पहली बार फ्रांस की यात्रा में फरवरी में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे आपको बता दें कि वह पहली बार फ्रांस की यात्रा पर कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे पहली बार कोरोना से ठीक होने के बाद उन्होंने इंस्टिट्यूट ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में कोरोना वायरस एंटीबॉडीज पर अध्ययन शुरू किया। 


इस दौरान उन्होंने लक्षण के तौर पर गले में खराश का अनुभव किया उनका दूसरा संक्रमण पहले से ज्यादा गंभीर था उन्होंने कहा 5 दिनों तक मेरा तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा और मेरे सुनने की क्षमता खत्म हो गई थी इसके साथ ही स्वाद का अनुभव बदल गया बीमारी की छुट्टी दिन फेफड़ों कासीटी स्कैन साफ था और स्कैन  के 3 दिन बाद एक्स-रे दोहरे  न्यूमोनिया का पता चला वायरस तेजी से चला गया और 2 सप्ताह बाद अन्य से एक सैंपल में पकड़ नहीं आया। 


अध्ययन के बाद डॉक्टर ने नतीजा निकाला कि हार्ड इम्युनिटी  से महामारी  को हराने  की उम्मीद बेकार है उन्होंने कहा कि हमें वैक्सीन की जरूरत होगी जिसका इस्तेमाल कई बार किया जा सकेगा उन्होंने कहा एक बार एडिनोवायरल आधारित वैक्सीन से लगाए जाने पर हमें उसे दोहराने के योग्य नहीं होंगे क्योंकि एडिनोवायरल इंजेक्शन बार-बार दखल देगा। 


 खुद के मामले पर आधारित डॉक्टर के निष्कर्ष से खुलासा हुआ हैखुद के मामले पर आधारित डॉक्टर के निष्कर्ष से खुलासा हुआ कि हर्ड इम्यूनिटी को पा लेना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल जरूर है क्योंकि वायरस आने वाले कई सालों तक रहेगा शिपरनो ने हर्ड इम्यूनिटी के खिलाफ चेतावनी जारी करते हुए कहा है कोविड-19 को खत्म करने के लिए वैक्सीन के कई डोज का इस्तेमाल करना होगा  
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दूसरी बार कोरोना से बचाने के लिए नहीं है हर्ड इम्युनिटी नहीं है किसी काम की ,वैज्ञानिक ने खुद पर परीक्षण कर किया ये शोध दूसरी बार कोरोना से बचाने के लिए नहीं है हर्ड इम्युनिटी नहीं है किसी काम की ,वैज्ञानिक ने खुद पर परीक्षण कर किया ये शोध Reviewed by N on October 30, 2020 Rating: 5

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