आखिर सूरज उगने से पहले क्यों दी जाती है अपराधी को फांसी ?

बड़ा गुनाह करने के बाद सजा के तोर पर फांसी की सजा दी जाती है लेकिन जब फांसी की सजा दी जाती है तो वो सूर्योदय के समय ही दी जाती है। 


 इसका आज तक आम लोगो को पता नहीं था इसकी जानकारी आज हम आपको देते है दरअसल सूर्योदय के बाद नए दिन की शुरुआत होती है जेल  में नए दिन की शरुआत के साथ ही नए काम शुरू हो जाते है इसीलिए जेल में अपराधी को सूर्योदय से पहले ही फांसी दे दी जाती है जब फांसी दी जाती है तो उससे पहले अपराधी से कोई आखिरी ख्वाहिस पुंछी जाती है। 


लेकिन आप ये नही जानते होंगे कि कैदी की ख्वाहिश जेल मैन्युअल के तहत हो तभी पूरी की जाती है फांसी देने से पहले जलाद कहता कि मुझे माफ कर दिया जाए... हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लमान भाइयों को सलाम  हम क्या कर सकते हैं हम तो हुकुम के गुलाम है। 


फांसी देने के 1 मिनट बाद तक अपराधी को लटकाये रखा जाता है इसके बाद डॉक्टर्स की टीम चेक करती है की उसकी मौत हुयी है या नहीं मौत की पुष्टि होने के बाद ही अपराधी को निचे उतरा जाता है। 


फांसी के समय  जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटीव मजीस्ट्रेट और जलाद का मौजूदगी जरुरी होती है इनमें किसी एक के भी ना होने पर फांसी नही दी जा सकती। 


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आखिर सूरज उगने से पहले क्यों दी जाती है अपराधी को फांसी ? आखिर सूरज उगने से पहले क्यों दी जाती है अपराधी को फांसी ? Reviewed by N on December 29, 2019 Rating: 5

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