ऐसा क्या हुआ की समय से पहले पहुंच टिड्डियों का दल भारत में गाँवो के बजाय शहरो पर कर रहा है हमला ?

 टिड्डियाँ इतनी खतरनाक होती है कि अगर इन्हें वक्त पर नियंत्रण में नहीं किया जाए कि किसी भी देश में अनाज का संकट पैदा कर सकती है। 

Locusts Hovering Over Crops As Time Passe - काल बनकर ...


 जब इनका का झुंड चलता है तो रास्ते में पड़ने वाले हर अनाज के पौधे को यह खा जाती है पिछले 25 साल के दौरान तक अफ्रिका के देशों जैसे इथोपिया और सोमालिया में इन  टिड्डियों ने अनाज का संकट पैदा कर रखा है और  अब टिड्डियों   ने भारत में भी आतंक मचाना शुरू कर दिया है 11 अप्रैल 2020 की वह तारीख थी जब  टिड्डियों  का एक बड़ा झुंड भारत-पाकिस्तान की सीमा पर देखा गया जो भारत में दाखिल हो रहा था भारत में दाखिल होने के बाद ही फिलहाल खेतों को छोड़कर शहरों में भी दिखने लगे हैं।

Bikaner News In Hindi : Tiddi wiped out in 145 villages in Bikaner ... 

कुछ दिनों से  इन्हे  राजस्थान के शहरों में देखा जा रहा है वहीं इसके अलावा के कुछ और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में भी इन्हें देखा गया है लेकिन इस वक्त टिड्डयो का भारत में आने आना और शहरों में हमला करना थोड़ा अप्रत्याशित है इसकी वजह यह है कि आमतौर पर  टिड्डियों  का  दल  भारत में जुलाई -अक्टूबर महीने में दाखिल होता है भारत में घुसने की जगह राजस्थान और गुजरात से सटे पाकिस्तान का बॉर्डर है। 

Locust attack by Pakistan in Rajasthan

यूनाइटेड नेशंस  में टिड्डियों  विशेषज्ञ क्रेसमैन का मानना है कि  टिड्डियाँ हमेशा खाने की तलाश में इधर-उधर भटकती है अभी मानसून शुरू नहीं हुआ है तो  टिड्डियों  का यह दल राजस्थान में आ गया और सूखा होने की वजह से ही है  शहरो की हरियाली को अपना निशाना बना रहा है रही बात इसकी कि करीब 3 महीने पहले ही भारत क्यों आ गई है तो इसके लिए 2018 में जाना होगा जब  मेकुनु  ओमान को  और लुबान ने यमन  को बुरी तरह से बर्बाद कर दिया था इन दोनों  तुफानो  की वजह से इन दोनों देशों के बड़े-बड़े मरुस्थल  झीलों  में तब्दील हो  गए थे  इसी वजह से टिड्डियों के प्रजनन में इजाफा हो गया जो 2019 तक लगातार जारी रहा। 

Locust Sworm Attack In Haryana On Crops - पंजाब के बाद ...

क्योंकि टिड्डियों की संख्या लगातार बढ़ती रही और यह पूर्वी अफ़्रीका में लगातार हमले करते रहे नवंबर 2019  टिड्डियों  का प्रजनन स्तर काफी ऊंचा हो गया और मार्च-अप्रैल 20 20 में फिर से पूर्वी अफ्रीका में तेज बारिश हो गई तो बचने के लिए टीमों का यह दल इरान होते पाकिस्तान   पहुंच गया और फिर वहां से भारत में दाखिल हो गया फिलहाल भारत में इन टिड्डयो के दल से फसलों को  नुकसान का खतरा बहुत कम है इसकी वजह से यह है कि फिलहाल खेतों में कोई फसल नहीं लगी है अभी धान के बीज डालने की तैयारी चल रही है फिलहाल लिहाजा फसलों में उगने में अभी वक्त है। 

Jodhpur News In Hindi : in jaisalmer india control all locust came ...

महाराष्ट्र में  संतरो  के  किसानों को थोड़ी चिंता जताई है लेकिन महाराष्ट्र में इनका हमला इतना कमजोर है कि उसे आसानी से निपटा जा सकता है हालांकि दिक्कत तब बड़ी हो सकती है जब इस दल का प्रजनन शुरू होगा यह प्रजनन मानसून के साथ शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाएगा आमतौर पर एक मादा टिंडे की उम्र करीब 3 महीने की होती है और एक बार में मादा 80 से 90 अंडे देती है और 3 महीना हो तीन बार अंडे देती  है इसका मतलब है कि एक  मादा टिड्डा  अपने 3 महीने की जीवन में ढाई सौ से भी ज्यादा  टिड्डे  तैयार कर देती है अगर इन टिड्डो  के प्रजनन  को  रोका नहीं किया गया तो फिर 1 वर्ग किलोमीटर से चार से आठ करोड़ टिड्डे  हो जाएंगे और अगर इन्होंने प्रजनन शुरू कर दिया तो इन्हें रोकना मुश्किल हो जाएगा वैसे खरीफ की फसल का नुकसान ना हो इसके लिए सरकार की ओर से कोशिशें शुरू हो गई है। 

Rajasthan: Farmers wary as locusts make comeback in Jaisalmer ...

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ऐसा क्या हुआ की समय से पहले पहुंच टिड्डियों का दल भारत में गाँवो के बजाय शहरो पर कर रहा है हमला ? ऐसा क्या हुआ की समय से पहले पहुंच टिड्डियों का दल भारत में गाँवो के बजाय शहरो पर कर रहा है हमला ? Reviewed by N on May 28, 2020 Rating: 5

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