Republic Day Special: आजादी के लिए इतना जूनून था इन देशभक्तो में की खुद के ही खून से रंगकर लहराया तिरंगा !!
देशभक्तो में आजादी के लिए जुनून ऐसा था कि जेल में तिरंगे के लिए लाल रंग नहीं मिला तो नौ जवानों ने अपना लहू निकालकर उससे केसरिया रंग बना लिया।
इतिहासकार राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि १९३० के दशक में झंडा सत्याग्रह को लेकर नौ जवानों में गजब का उत्साह था।
इस बात का प्रमाण ये है कि जबलपुर जेल में बंद सत्याग्रही विश्वंभर नाथ पांडेय, सत्येन्द्र मिश्र, पूरनचंद शर्मा, ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी, एंव बदी्र प्रसाद आदि ने जेल में ही झंडा फहराने की योजना बनाई।
खादी के सफेद कपड़े को तिरंगे के लिए चुना पत्तों को निचोड़कर हरा रंग बनाया सफेद रंग कपड़े में ही था, लेकिन लाल रंग नहीं मिला तो सत्येन्द्र प्रसाद मिश्र ने अपनी कलाई चीरकर लहू से लाल रंग बनाया और जेल में झंडा भी फहराया था।
स्वाधीनता आंदोलन के दौरान शायद ही कोई ऐसा शीर्ष नेता रहा हो जो जबलपुर की धरती पर नहीं आया हो।
इतिहासविदों के अनुसार आजादी के लिए झंडा आंदोलन की शुरूआत ही जबलपुर से हुई थी।
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January 24, 2020
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